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* तालाब में कीचड़ बनाने वाली सामग्री कम से कम पहुंचे इसके लिए व्यवस्था करनी चाहिए. पानी के तालाब में पहुंचने के पहले बालू वाले बेसिन कीचड़ कम करने में मदद कर सकते हैं. पानी के बहाव वाले इलाके में देसी घास का इस्तेमाल करके भी कीचड़ की समस्या से निजात पाई जा सकती है. कितुई जिले में कांबिति फार्म इस बात का बढिय़ा उदाहरण है कि कैसे पहले खस्ता हो चुकी जमीन का प्रबंधन किया गया और कैसे चारागाह के प्रबंधन के चलते खुले बांध भी कीचड़ से ग्रस्त नहीं हुए. वृक्षों या घास की मेढ़ बनाना भी एक कामयाब उपाय साबित हुआ. अगर पानी की आवक वाली नहर स्पष्ट हो तो कीचड़ रोधी उपाय अपनाए जा सकते हैं. तंजानिया के चारको बांध में इस उपाय को अपनाया जा चुका है. इस मामले में नहर के चारों ओर लगाए गए पत्थरों ने एक छोटा सा बांध बना दिया और इनके बीच पौधे उगने की वजह से पानी के बहाव की गति रुक सी गई और इसने कीचड़ को थामने में मदद की. जिन जगहों पर जलस्रोत की गुणवत्ता अच्छी है वहां भी कीचड़ या अन्य कचरा जमा हो सकता है लेकिन तालाब के किनारों और आधार को 0.5 मीटर मोटी बालू की परत से ढक कर इससे बचा जा सकता है.
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* तालाबों को लेकर आवृत्तिक शैली अपनाई जा सकती है इससे कुछ तालाब सूखेंगे जबकि अन्य का प्रयोग होगा. जो तालाब सूख जाएंगे उनका इस्तेमाल रिसन-इन्फिल्ट्रेशन दर बहाल करने में किया जाएगा जबकि जो सूखने की प्रक्रिया में होंगे उनमें जलीय पौधों को नष्ट किया जा सकता है. इस मामले में तालाब को उथला होना आवश्यक है ताकि खाली करते वक्त पानी की निकासी तेज गति से हो सके.
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